वो ज्योतिषी है पर -
अपने भाग्य नहीं बांचता .
अपने भाग्य नहीं बांचता .
और सबके पढ़ पढ़कर सुनाता है -
अपने हाथ की लकीरें
चाहते हुए भी - ना जाने
क्यों नहीं पढ़ पाता है .
अपने हाथ की लकीरें
चाहते हुए भी - ना जाने
क्यों नहीं पढ़ पाता है .
देश दुनिया की चिंता में
वो दिन-रात घुला घुला जाता है
वो दिन-रात घुला घुला जाता है
पर इस देश के दुर्भाग्य पर -
एक भी आंसू नहीं बहाता है .
एक भी आंसू नहीं बहाता है .
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