ये भी कोई जिन्दगी है यार
हाथ में रोटी - जिसके लिए
आदमी की - हर आदमी से
हर वक्त तकरार है - या
फिर झूठा प्यार है .
उम्रभर - पेट के लिए खटना
यहाँ से वहां - दर दर भागते फिरना
मरते मरते जीना - और यहाँ
जीते जी मरना .
अरे - छोड़ भी एक दिन
काला कौवा - ये रोटी ले जाएगा
यमराज ये मांस का पिंड
एक एक बोटी ले जाएगा .
तू कोई गरीब गुरबा - कंगाल नहीं है
ऐसा नहीं - की तू मालामाल नहीं है.
'उसने' किसी को - मुफलिस नहीं भेजा
किसी के भी पास - यहाँ प्रेम का
कोई लम्बा चौड़ा - अकाल नहीं है .
छीनकर - इक्कठा करने से
प्यार बांटना - ज्यादा आसान है
इसी से दुनिया चलती है - यही
उस परमात्मा का फरमान है .
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