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Saturday, October 22, 2011

क्षणिकाएं

रब ने कोई ऐसा बनाया ही नहीं - 
मैं इंतज़ार करता रहा -
कोई आया ही नहीं .
किसी और के ख्वाब में ना सही-
अपने ही सपनो में खो जाएँ - 
ना सही कोई अपना - चलो 
हम ही किसी के हो जाएँ .


आकंठ गरल - हलाहल
यही तो है मेरे यार तुझे पीना .
अमृत की लालसा - व्यर्थ
मृत्युलोक में - जहाँ मरना
आसान है - पर बहूत
मुश्किल होता है जीना .
रजत शिखर सी तिमिर तोडती - चन्द्रप्रभा
हो कोटि सूर्य सी - रश्मि विहंसती रविप्रभा.
अन्धकार ना रहे - ज्योतिर्मय दसों दिशा
तड़ित - लड़ी सम जगमग दीपक की आभा .
प्रज्वलित दीपशिखा सदा हमसे कहती हैं -
नहीं तिमिर हो शेष - जहाँ पर हम रहती हैं . 
प्यार का अहसास - यूँ
बहूत नाजुक सी डोर है - एक
तरफ तुम - हो और दूसरी तरफ
कह नहीं सकता - मैं हूँ
या फिर कोई और है .
एक वो हैं जिन्हें जन्नत भी रास आई नहीं
एक हम उम्रभर जहन्नुम में बड़े मजे से रहे .   
ठीक से देखा है ना जाना तुमको
मिल गया अच्छा बहाना तुमको
अभी रुक जाओ - फिर बन जाना
कभी अजनबी .
 
भूखों से - फाकों का हुनर मत पूछों
अब किसका नाम लूं - जो बताये
मैं भूखा क्यूँ हूँ ?
जुगनुओं को सूरज मत कहो - तकलीफ होती है
माटी के दीये का जलना क्या टिमटिमाना क्या .
जलाना ही है तो बुझे सूरज को जला -
की रोशन हो सारा जहाँ - फ़क्त दीया तो
तेरे घर को रौशनी देगा.
दसों दिशाएं - सीए हुए लब 
मन की बातें कौन सुनेगा - अंतर
की पीड़ा को तेरी - अबतो
केवल मौन सुनेगा . 

 

2 comments:

  1. शुभकामनाएं ||

    रचो रंगोली लाभ-शुभ, जले दिवाली दीप |
    माँ लक्ष्मी का आगमन, घर-आँगन रख लीप ||
    घर-आँगन रख लीप, करो स्वागत तैयारी |
    लेखक-कवि मजदूर, कृषक, नौकर व्यापारी |
    नहीं खेलना ताश, नशे की छोडो टोली |
    दो बच्चों का साथ, रचो मिलकर रंगोली ||

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  2. बहुत बढिया ..
    सपरिवार आपको दीपावली की शुभकामनाएं !!

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