विदाई की वेला में -
भीड़ में ढूँढती सी
उसकी निगाहें -
मुझे खोज रही हैं .
और मैं छिप रहा हूँ
या अपने आंसुओं को
पलकों में छिपा रहा हूँ -
बहादुर बच्चे रोते नहीं
सबको दिखा जता रहा हूँ .
पर अंतर का बाँध -
टूटने को है -
कल की चिंता -
दिल को खाए जा रही है .
मेरी लुका छिपी का
वो कोना - आज
मुझे छोड़कर जाने
किसके साथ - और
क्यों जा रही है .
कोई बताता नहीं -
वापिस आयेगी या -
फिर क्या सदा के लिए
मुझे छोड़कर जा रही हैं .
भीड़ में ढूँढती सी
उसकी निगाहें -
मुझे खोज रही हैं .
और मैं छिप रहा हूँ
या अपने आंसुओं को
पलकों में छिपा रहा हूँ -
बहादुर बच्चे रोते नहीं
सबको दिखा जता रहा हूँ .
पर अंतर का बाँध -
टूटने को है -
कल की चिंता -
दिल को खाए जा रही है .
मेरी लुका छिपी का
वो कोना - आज
मुझे छोड़कर जाने
किसके साथ - और
क्यों जा रही है .
कोई बताता नहीं -
वापिस आयेगी या -
फिर क्या सदा के लिए
मुझे छोड़कर जा रही हैं .
बहुत खूब / बहुत उम्दा रचना
ReplyDeleteउत्कृष्ट लेखनी
एक नज़र :- हालात-ए-बयाँ: ''कोई न सुनता उनको है, 'अभी' जो बे-सहारे हैं''