Popular Posts
क्षणिकाएँ
खुदा का शुक्र था - किश्तों में गम मिले वर्ना ये जिन्दगी कब की खर्च हो गयी होती . मौ सम मूढ़ ना तुम सम ज्ञानी जगत चतुर - नहीं कोई स...
दोहे
ये ईश्वर का देश है नौ निध बारा सिद्ध कव्वे तो मिल जायेंगे नहीं मिलेंगे गिद्ध सबके सब हैं देवता नहीं जरा भी फर्क सबके अपने स्वर्ग हैं...
ये - बूढ़ा पेड़
फल- फूल देता था कभी - पर आँगन में खड़ा ये - बूढ़ा पेड़ - अब कतई - बाँझ है . मैं जानता हूँ - ये इसकी जिन्दगी की साँझ है . पर मेरा...
Friday, June 10, 2016
आँधियों के दौर हर मंज़र उदास है -
बचने की भला अब किसको आस है
अंजाम से डरे हुए कुछ लोग तो मिले
अंजाम बदल दें मुझे उसकी तलाश है .
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment