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बच्चों की तरह ६३ साल से पेट के बल रेंग रहा है -
बच्चों की तरह ६३ साल से पेट के बल रेंग रहा है - आखिर तू कब बड़ा होगा - अपने दोनों पैरों पर -बता तो सही कब खड़ा होगा . अब तो गाँधी -ने...
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इक मरजानी - मरजाने दो
इक मरजानी - मरजाने दो है इकला तीर - निशाने दो . हस्ती ना मिटा सका कोई हम एक नहीं - दीवाने दो . जो होता है - हो जाने दो जो खोता है - ...
Friday, June 10, 2016
आँधियों के दौर हर मंज़र उदास है -
बचने की भला अब किसको आस है
अंजाम से डरे हुए कुछ लोग तो मिले
अंजाम बदल दें मुझे उसकी तलाश है .
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