सुंदर पृथ्वी - आकाश सजा -
कितनी सुंदर - मासूम धरा .
सबसे सुंदर - पर देश मेरा
जिसमे अतुल्य प्रकाश भरा .
प्रकृति के स्पंदन यूँ बोले
सतरंगी रंग किसने घोले
ये मदमाती - ये बलखाती
नदियाँ में निर्मल जल डोले
आये थे जाने कौन काज
चाहे धरती का सकल राज
तू चल फिर यार पथिक भोले .
तू इसका बन इसका होले .
उतरे धरती पर राम यहीं
श्रीकृष्ण प्रभु का धाम यहीं
भक्ति का अद्भूत आँगन है
ईश्वर के भेद यहाँ खोले .
कितनी सुंदर - मासूम धरा .
सबसे सुंदर - पर देश मेरा
जिसमे अतुल्य प्रकाश भरा .
प्रकृति के स्पंदन यूँ बोले
सतरंगी रंग किसने घोले
ये मदमाती - ये बलखाती
नदियाँ में निर्मल जल डोले
आये थे जाने कौन काज
चाहे धरती का सकल राज
तू चल फिर यार पथिक भोले .
तू इसका बन इसका होले .
उतरे धरती पर राम यहीं
श्रीकृष्ण प्रभु का धाम यहीं
भक्ति का अद्भूत आँगन है
ईश्वर के भेद यहाँ खोले .
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