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बैसाख मास
बैसाख मास देख तारों के हास देख प्रकृति को पास देख आढ़ा टेढा सा चाँद करता परिहास देख . आज चांदनी उदास दिल की मत पूं...
झक दुपहरी में एक दीप जलाया जाये
सूने गुलशन को इस तरह सजाया जाए महक नही तो थोड़ा इत्र मिलाया जाए . टिकाऊ न सही कुछ देर तो जले यारो झक दुपहरी में एक दीप जलाया जाये . दु...
हमारा हिंदुस्तान , क्या है मेरा यहाँ
हमारा हिंदुस्तान , क्या है मेरा यहाँ -सिर्फ एक छोटा सा ५५ गज का मकान , फिर भी मैं कहता हूँ - 'मेरा' भारत 'सबसे' महान . ...
Friday, June 10, 2016
आँधियों के दौर हर मंज़र उदास है -
बचने की भला अब किसको आस है
अंजाम से डरे हुए कुछ लोग तो मिले
अंजाम बदल दें मुझे उसकी तलाश है .
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