Popular Posts
झक दुपहरी में एक दीप जलाया जाये
सूने गुलशन को इस तरह सजाया जाए महक नही तो थोड़ा इत्र मिलाया जाए . टिकाऊ न सही कुछ देर तो जले यारो झक दुपहरी में एक दीप जलाया जाये . दु...
ज्यादा मत सोच विचार
ज्यादा मत सोच विचार , जिन्दगी क्षणिक है यार . जो सच्चा सोना है- उसका क्या खोना है - होगा जो होना है प्यार ही को ओढ़ ले - प्यार का ब...
जो मैं तेरी जगह पाता
जो मैं तेरी जगह पाता - सच कहता हूँ यार - तुझ से ज्यादा नाम - ज्यादा धन कमाता . मैं क्या - मेरा पूरा देश बिना किसी खून खराबे के जाने ...
Wednesday, September 5, 2012
देस की चिंता छोड़
देस की चिंता छोड़ -
अपने नगरकी चिंता कर
'मातेश्वरी' की नाराजगी - से
यार थोडा सा तो डर .
तुझे पता भी ना चले -
दुनिया को पता चल जाए .
तेरी धर्मनगरी -
हरिद्वार
जाने कब -
पोपनगरी
(पाप नगरी) में बदल जाए .
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment