घोड़े यार फिसलते देखे
डंकी सरपट चलते देखे
जेठ दुपहरी तपती देखी
हिमगिरी हमने जलते देखे
अंधों की फूटी आँखों में
कानें हमने खलते देखे
सुवर के रेवड़ में यारो
सौ सौ बच्चे पलते देखे
आधी रात खुले क़ाज़ीघर
और मुकदमे टलते देखे
नेताजी की वाट लगी है
नोट हजारी जलते देखे
तड़ीपार के ठप्पे वाले
सब बटमार मचलते देखे
खरी चव्वनी फेल हो गयी
खोटे सिक्के चलते देखे