घोड़े को घास खा गयी
जनता को आस खा गयी .
जनता को आस खा गयी .
जुल्फके नाग हटाये ही थे
चंदन की बास आ गयी .
चंदन की बास आ गयी .
जुआरी को ताश खा गयी -
गुलाम को रानी रास आ गयी .
गुलाम को रानी रास आ गयी .
गुम्बंद में गूंजती हैं आवाजें
चुप कर वो ख़ास आ गयी .
चुप कर वो ख़ास आ गयी .
वो जरा सा करीब आये
आँखों को यार भा गयी .
आँखों को यार भा गयी .
लबों को चूमने को थे तभी -
उबासी सत्यानाश आ गयी .
उबासी सत्यानाश आ गयी .