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क्षणिकाएं
चढ़ते चढ़ते - चढ़ गए जन्नत की सारी सीढियाँ . इस तरह से यार - हम फिर स्वर्गवासी हो गए. वहां नहीं हैं - वो जहाँ थे ढून्ढ रहा हूँ - ...
Friday, June 10, 2016
आँधियों के दौर हर मंज़र उदास है -
बचने की भला अब किसको आस है
अंजाम से डरे हुए कुछ लोग तो मिले
अंजाम बदल दें मुझे उसकी तलाश है .
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